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हिंदी माँ संग वार्तालाप

Poem
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एक दिन मेरे सपने में एक लेडी आई,
मैने ली अंगड़ाई और पूछा,ओ मैड़म कौन हो तुम ?
तो वो गुस्से में बोली,हाँ हाँ अब तू मुझे क्यों पहचानेगी,
अब तो तू अपनी अंग्रेजी मौसी को ही जानेगी ।
तू तो अब अपनी मौसी की दीवानी है,
तेरे लिए तो अब मेरी सूरत भी अनजानी है ।
मैं आँख मलते हुए खुश होकर बोली,
अरे माँ ! मेरी हिंदी माँ ! तू कब आई ?
माँ आँसू पोछते हुए बोली,क्या कहूँ अब मैं बेटी ,
मै बूढी हो गई हूँ ना, अब तुम्हे गँवार लगती हूँ ना ।
मै सकपकाई और बोली ,माँ…तू तो अभी अच्छी खासी जवान है ,
अरे तेरे से ही तो हमारी पहचान है ।
माँ िझडकते हुए बोली,जा जा, मुझे अब कौन याद करता है,
तेरा बाप भी तो अब तेरी मौसी पर ही मरता है।
मैने कुर्सी खींची और समझाते हुए कहा, माँ तू बैठ, माँ तू बैठ,
माँ बोली चल चल फिल्मी ड़ायलोग मत फैंक ।
मैने कहा पर सच बोलू माँ अंग्रेजी मौसी बहुत अच्छी है,
वो यहाँ वहाँ सब जगह बहुत इज्जत दिलाती है ।
माँ बोली हाँ भई अब तो मुझे माँ बताने में तुम्हे लाज आती है,
यही सब देखकर तो मेरी आँख शर्म से झुक जाती है ।
मैने कहा माँ तू क्यों घबराती है, ऐसे क्यों सोचती है?
देख मैं तो तेरी पहचान सब से कराती हूँ,
घर में भी बाहर भी हिन्दी पढ़ाती हूँ ।
माँ हँसकर बोली पता है पता है तू क्या पढाती है,
केवल प्रश्नो के उत्तर रटाकर लिखना सिखाती है ।
मै बोली माँ ये एजूकेशन सिस्टम मुझे भी नहीं भाता है ,
ए + मिल जाता है पर बच्चो को हिंदी बोलना नहीं आता है।
माँ बोली बेटी मैं इसी बात से तो विचलित हूँ
आने वाले इसी भविष्य से ही तो चिंतित हूँ ।
अब बता क्या तू मेरी धरोहर अपनी बहू को दे पाएगी,
और क्या वो तुझसे हिंदी में बात कर पाएगी,
माँ तू चिंता न कर तेरी धरोहर हम संभालकर रखेंगे,
अरे नहीं बोलेगी तो उसे हम सिखा देंगें ।
माँ मुस्काई और बोली बेटी, हम भी देंखेंगे देंखेंगे ।
मैने माँ के कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला,
माँ देख बोलीवुड़ और टी. वी. तेरा नाम दुनिया में फैला रहा है ।
और अब तो संस्कृत नानी के पीछे भी सारा जमाना भाग रहा है ।
सच कहती हूँ माँ अब देश में बहुत बदलाव आ रहा है,
आज लाल किले पर इतने सालो बाद हिंदी का भाषण गूँज रहा है ।
माँ बोली मेरी बच्ची मुझे अब तुम सभी से यही उम्मीद है यही आशा है,
बस गर्व से हमेशा कहना हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हिंदी हमारी मातृभाषा है ।

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